उदयपुर। सुरों की मंडली के संस्थापक मुकेश माधवानी और डॉ. कामिनी व्यास रावल ने राजस्थान के उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा से मुलाकात की।

उदयपुर में संगीत संग्रहालय की स्थापना को मिला उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा का समर्थन, बोले – सरकार भी संगीत और कला को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध
इस मुलाकात के दौरान उन्होंने उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा को उदयपुर में संगीत संग्रहालय की स्थापना के लिए एक प्रार्थना पत्र सौंपा।
उप मुख्यमंत्री डॉ. बैरवा ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य सरकार भी कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में हरसंभव सहयोग करेगी।
उपमुख्यमंत्री के इस आश्वासन को उदयपुर में संगीत और संस्कृति के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
सुरों की मंडली के संस्थापक मुकेश माधवानी ने बताया कि उपमुख्यमंत्री के समर्थन के बाद इस परियोजना को लेकर उनका उत्साह और बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि उदयपुर, जिसे झीलों की नगरी के रूप में जाना जाता है, अपनी समृद्ध भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी एक जीवंत केंद्र है। यहाँ की मिट्टी में लोक कला, लोक संगीत और आदिवासी संस्कृति की अनमोल सुगंध रची-बसी है। उनका मानना है कि उदयपुर और आसपास के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में संगीत की एक अनूठी विरासत है जिसे संरक्षित करने और बढ़ावा देने की सख्त जरूरत है।
संगीत संग्रहालय से होने वाले लाभ और प्रस्तावित कार्य
मुकेश माधवानी माधवानी ने बताया कि यदि यह संग्रहालय स्थापित होता है, तो इससे उदयपुर के निवासियों और यहाँ के संगीत कलाकारों को कई लाभ होंगे।
उन्होंने कहा कि यह संग्रहालय न केवल उदयपुर की, बल्कि संपूर्ण राजस्थान और भारत की संगीत परंपरा को समर्पित होगा।
संगीत संग्रहालय की स्थापना से यह मिलेगा लाभ
संगीत वाद्ययंत्रों की प्रदर्शनी: संग्रहालय में दुर्लभ और पारंपरिक वाद्ययंत्रों, विशेषकर लोक वाद्ययंत्रों जैसे रावणहत्था, अलगोजा, खड़ताल, और मोरचंग की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इनका प्रदर्शन इस तरह किया जाएगा कि दर्शक उनसे जुड़ाव महसूस कर सकें।
निःशुल्क संगीत कक्षाएँ: हर उम्र के लोगों, खासकर बच्चों और युवाओं के लिए पारंपरिक और शास्त्रीय संगीत की निःशुल्क कक्षाएँ आयोजित की जाएंगी। इससे नई पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ेगी और अपनी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित होगी।
कलाकारों के लिए समर्पित मंच: स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर के संगीत कलाकारों को अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए एक गरिमापूर्ण मंच मिलेगा। इससे उन्हें प्रोत्साहन मिलेगा और उनकी प्रतिभा को देश-दुनिया के सामने लाने का अवसर मिलेगा।
अनुसंधान एवं प्रलेखन केंद्र: लुप्त होती संगीत शैलियों, लोकगीतों और वाद्ययंत्रों पर गहन शोध के लिए एक अत्याधुनिक केंद्र स्थापित किया जाएगा।
नियमित सांस्कृतिक कार्यक्रम और उत्सव: संग्रहालय में नियमित रूप से संगीतमय शामें, लोक कला प्रदर्शन और सांस्कृतिक उत्सव आयोजित किए जाएँगे, जिससे यह एक जीवंत सांस्कृतिक केंद्र बन सके और पर्यटकों के लिए भी एक बड़ा आकर्षण बने।
मुकेश माधवानी ने बताया कि उदयपुर में संगीत संग्रहालय के स्वप्न को साकार करने के लिए राज्य सरकार से उपयुक्त सरकारी भवन या भूमि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है। उन्होंने कहा कि स्थानीय समुदाय, कलाकार और स्वयंसेवकों की भागीदारी से इस परियोजना में सरकार पर वित्तीय बोझ नहीं आएगा।