उदयपुर जिला दर्शन
उदयपुर को महाराणा उदय सिंह ने 1559 ईस्वी में बसाया था। अरावली श्रेणियों का दूसरा सबसे ऊंचा हिस्सा ‘भोराठ का पठार’ उदयपुर जिले के गोगुंदा से होकर के कुंभलगढ़ के बीच स्थित है।
- उदयपुर जिले का क्षेत्रफल : 13419 वर्ग किलोमीटर।
- उदयपुर जिले की अक्षांशीय स्थिति : 23 डिग्री 46 मिनट उत्तरी अक्षांश से 25 डिग्री 5 मिनट उत्तरी अक्षांश तक।
- उदयपुर जिले की देशांतरीय स्थिति : 73 डिग्री 9 मिनट पूर्वी देशांतर से 74 डिग्री 35 मिनट पूर्वी देशांतर तक।
- उदयपुर जिले के प्रमुख उपनाम/प्राचीन नाम : मेवाड़, झीलों की नगरी, मेदपाट, प्राग्वाट, पूर्व का वेनिस (वेनिस ऑफ द ईस्ट), राजस्थान का कश्मीर, फाउंटेन का शहर, एशिया का वियना, सैलानियों का स्वर्ग, लेक सिटी ऑफ इंडिया, तश्तरीनुमा बेसिन में बसा हुआ शहर , ऑस्ट्रेलिया जैसी आकृति, ज़िंक नगरी आदि।
उदयपुर जिले के प्रमुख मेले एवं त्यौहार
- हरियाली अमावस्या का मेला – यह मेला उदयपुर जिले के फतेहगढ़ में श्रावण मास की अमावस्या को भरता है।
- जरगा जी का मेला – यह मेला उदयपुर जिले के झाडोल तहसील के जरगा पहाड़ पर फाल्गुन शिवरात्रि को भरता है।
- प्रताप जयंती मेला – यह मेला हल्दीघाटी एवं चावंड में 9 मई (ज्येष्ठ सुदी तृतीया) को भरता है।
- विक्रमादित्य मेला – यह मेला राजा विक्रमादित्य की स्मृति में भरता है। यह मेला उदयपुर में चैत्र अमावस्या को भरता है।
- ऋषभदेव मेला – यह मेला उदयपुर जिले के ऋषभदेव में चैत्र कृष्णा अष्टमी को भरता है।
उदयपुर जिले के प्रमुख मंदिर/शीर्ष मंदिर
- जगत का अंबिका मंदिर – इस मंदिर को मेवाड़ का खजुराहो कहा जाता है।
- जगदीश मंदिर, उदयपुर – इसकी स्थापना महाराणा जगतसिंह द्वारा 1651 ईस्वी को की गई थी। इसे सपने से बना मंदिर भी कहा जाता है।
- ऋषभदेव मंदिर, उदयपुर – इस मंदिर में देवता को केसर चढ़ती है। इसमें श्वेतांबर-दिगंबर जैन, वैष्णव, भील, शेव एवं तमाम जाति के लोग पूजा करने आते हैं। आदिवासी लोग इन्हें काला जी (काला बावजी ) कहकर पुकारते हैं। भील लोग कालिया बाबा की आण लेते हैं और शपथ लेने के बाद झूठ नहीं बोलते हैं। वैष्णव धर्म के लोग इन्हें विष्णु का अवतार मानकर पूजा करते हैं। चैत्र कृष्ण अष्टमी-नवमी को यहां पर विशाल मेला लगता है।
- आहड़ (उदयपुर) जैन मंदिर – यह मंदिर उदयपुर में स्थित। यह मंदिर 10 वीं शताब्दी के जैन मंदिरों का एक समूह है। यहां पर आचार्य जगच्चंद्रसूरि को 12 वर्षों के कठोर तप उपरांत तत्कालीन शासक जैत्रसिंह ने ‘तपा’ विरुद्ध प्रदान किया।
- एकलिंग जी का मंदिर, कैलाशपुरी (उदयपुर) – इस मंदिर का निर्माण मेवाड़ महाराणा बप्पा रावल ने 734 ईसवी में करवाया था। मेवाड़ के महाराणा स्वयं को एकलिंग जी के दीवान मानते थे। यहां पर शिवरात्रि को विशाल मेला लगता है। चैत्र की अमावस्या को प्रतिवर्ष ध्वजा चढ़ाने की रस्म पूरी की जाती है तथा हीरो का नाग चढ़ाया जाता है।
उदयपुर जिले के दर्शनीय स्थल/पर्यटन स्थल
- पिछोला झील – इस झील का निर्माण राणा लाखा के शासनकाल में एक बंजारे ने करवाया था। इस झील के अंदर जगमंदिर एवं जगनिवास महल बने हुए हैं।
- मोती मगरी – यहां पर महाराणा प्रताप की कांस्य प्रतिमा एवं स्मारक है तथा यहां पर जापानी रॉक गार्डन भी है।
- सिटी पैलेस – यहां पर कृष्ण विलास महल, राजआंगन महल, मोतीमहल, मानक महल, दिलकुश महल आदि प्रसिद्ध महल स्थित है। यह महल उदयपुर नगर में सबसे ऊंचा स्थान पर स्थित होने के कारण इनकी भव्यता और विशाल के कारण इतिहासकार फर्ग्यूसन ने इन्हें ‘राजस्थान के विंडसर महलों’ की संज्ञा दी है।
- सज्जन पैलेस एवं बाग – इसे वाणी विलास महल भी कहते हैं। इसका निर्माण महाराणा सज्जन सिंह ने करवाया था।
- सहेलियों की बाड़ी, उदयपुर – इनका निर्माण महाराणा संग्राम द्वितीय ने करवाया था तथा महाराणा फतेह सिंह ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था। यह फतेहसागर झील की पाल की तलहटी में बना एक रमणीक बगीचा है।
- नटनी का चबूतरा – पिछोला झील में नथनी (गलकी) की स्मृति में बनाया गया एक चबूतरा है, इसे नटनी का चबूतरा कहते हैं।
- जयसमंद झील – जयसमंद झील मीठे पानी की विश्व की दूसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। इसका निर्माण मेवाड़ महाराणा जयसिंह द्वारा करवाया गया।
- शिल्पग्राम – उदयपुर के निकट 1989 में पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा हवाला गांव में ग्रामीण शिल्प एवं लोक कला परिषद शिल्पग्राम का सृजन किया गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी ने 8 फरवरी, 1989 को इसका उद्घाटन किया था।
- गोगुंदा – यह स्थान हल्दीघाटी के निकट स्थित है। महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक 1572 ईस्वी में यहीं पर हुआ था। महाराणा प्रताप की मृत्यु भी यही गोगुंदा में हुई थी। महाराणा प्रताप की प्रारंभिक राजधानी गोगुंदा थी।
- जग निवास महल – इसका निर्माण महाराणा जगत सिंह द्वितीय द्वारा 1746 ईस्वी में करवाया गया था।
- जग मंदिर महल – इनका निर्माण महाराणा जगत सिंह प्रथम द्वारा 1651 में पूर्ण करवाया गया था तथा इसका निर्माण कार्य महाराजा करण सिंह ने शुरू करवाया था।
- सौर वेधशाला – यह वेधशाला फतेहसागर झील के बीच टापू पर स्थित है।
- नागदा – यह गुहिल शासकों की प्रारंभिक राजधानी। यहां पर 10 वीं सदी का सास-बहू का मंदिर प्रसिद्ध है।
- बागोर की हवेली – इसका निर्माण मेवाड़ के प्रधानमंत्री श्री अमरचंद बड़वा द्वारा करवाया गया था।
- मायरा की गुफा – गोगुंदा के पास मोड़ी गांव में स्थित गुफा जहां महाराणा प्रताप ने अपना शस्त्रागार बनाया था।
- गुलाब बाग, उदयपुर – इसका निर्माण महाराणा सज्जन सिंह द्वारा 1881 ईसवी में करवाया गया था। इसे सज्जन निवास उद्यान भी कहते हैं।
- बांडोली – यहां पर महाराणा प्रताप का अंतिम संस्कार किया गया था। यहां पर महाराणा प्रताप की छतरी भी स्थित है।
- चावंड – 1578 ईसवी में कुंभलगढ़ पर मुगल सेना का अधिकार हो जाने के बाद महाराणा प्रताप ने 1585 में चावंड को अपनी राजधानी बनाया था। महाराणा प्रताप ने अपने जीवन के अंतिम दिन यही गुजारे थे।
- उदयपुर के अन्य पर्यटन स्थल – विक्टोरिया हॉल म्यूजियम (मेवाड़ म्यूजियम), माणिक्य लाल वर्मा जनजाति शोध संस्थान, नारायण सेवा संस्थान, उदयपुर लोक कला मंडल, हाड़ी रानी महल, सलूंबर आदि।
- मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय – इसकी स्थापना 1964 में उदयपुर विश्वविद्यालय के नाम से की गई थी वर्तमान में 1982 ईस्वी में इसका नाम परिवर्तित कर मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय कर दिया गया।
- उदयपुर जिले की प्रमुख मीठे पानी की झीले – उदयसागर झील, फतेहसागर झील ( देवाली तालाब ), गोवर्धन सागर झील, पिछोला झील, जयसमंद झील आदि।
- उदयपुर के वन्य जीव अभ्यारण्य – फुलवारी की नाल वन्यजीव अभयारण्य, सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य, जयसमंद वन्यजीव अभयारण्य (जल चरणों की बस्ती) आदि।
- उदयपुर जंतुआलय – इसकी स्थापना 1878 ईस्वी में उदयपुर के गुलाबबाग में की गई थी। यहां पर एक पक्षीशाला विकसित की गई है।
- सज्जनगढ़ मृगवन – इसकी स्थापना 1984 में की गई। यह सज्जनगढ़ दुर्ग की तलहटी में फैला हुआ है।
- सोम नदी – सोम नदी का उद्गम ऋषभदेव के बाबलवाड़ा के जंगल की बीछामेड़ा पहाड़ी से होता है तथा यहां से बहती हुई बेणेश्वर में त्रिवेणी संगम बनाती है।
- साबरमती नदी – साबरमती नदी का उद्गम पदराडा (उदयपुर) से होता है। यह राजस्थान की एकमात्र नदी है, जिसका उद्गम राजस्थान से होता है, परंतु इसका महत्व गुजरात के लिए है। इसकी कुल लंबाई 416 किलोमीटर है, जिसमें से 45 किलोमीटर राजस्थान में बहती है।
- बेड़च/आयड़ नदी – इसका उद्गम गोगुंदा की पहाड़ी से होता है तथा इसे उदयसागर झील से पहले आयड़ नदी के नाम से जाना जाता है तथा बाद में बेड़च नदी कहते हैं। इसके किनारे आहड़ सभ्यता विकसित है। इस नदी की कुल लंबाई 157 किलोमीटर है।
मेवाड़ शैली/उदयपुर शैली
यह राजस्थान की सबसे प्राचीन एवं मूल शैली है। इस शैली की शुरुआत एवं विकास महाराणा कुंभा के शासनकाल में हुआ था। लेकिन इस शैली का स्वर्ण काल जगत सिंह प्रथम के काल को माना जाता है। कलिला-दमना इस चित्र शैली के 2 पात्र हैं। जगत सिंह प्रथम ने राजमहल में ‘चितेरो की ओवरी’ (तस्वीरां रो कारखानों) नाम से चित्रकला का विद्यालय खोला। इस शैली को असली रूप देने का श्रेय महाराजा जगत सिंह को जाता है। इनके काल में मेवाड़ में गीत गोविंद, रसिकप्रिया, राग माला जैसे विषय लघु चित्रों का चित्रण हुआ है। मनोहर एवं साहिब्दीन उदयपुर शैली के चित्रकार है। चावंड शैली – चित्रकला की इस शैली का स्वर्ण काल अमर सिंह प्रथम के काल को माना जाता है एवं इस शैली की शुरुआत प्रताप के शासनकाल में हुई थी। इन्हीं के काल में प्रसिद्ध चितेरे नसीरुद्दीन ने राग माला का चित्रण किया था।
उदयपुर जिले के अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न/तथ्य
- उदयपुर जिले के खनिज संपदा – ऋषभदेव, खेरवाड़ा, सलूंबर से एस्बेस्टोस प्राप्त होता है। झामर कोटड़ा से रॉक फॉस्फेट उत्पादित होता है।
- उदयपुर की झाडोल तहसील में शाखा युक्त खजूर पाए जाते हैं। यहां पर पीला पलाश भी पाया जाता है, सामान्यतः पलाश अपने लाल सुर्ख फूलों के लिए जंगल की ज्वाला नाम से भी प्रसिद्ध है।
- उदयपुर के राजमहलों की सुंदरता के कारण प्रसिद्ध इतिहासकार प्रदूषण ने इन्हें ‘विंडसर महलों की संज्ञा’ दी है।
- राजस्थान के उदयपुर जिले की आकृति ऑस्ट्रेलिया के समान है।
- विश्व में पहली बार सितंबर 1997 को सौर ऊर्जा से संचालित नाव पिछोला झील में चलाई गई।
- जयसमंद झील विश्व की सबसे बड़ी मानव निर्मित जिलों में से एक है।
- विश्व की सबसे बड़ी पगड़ी बागोर की हवेली में स्थित संग्रहालय में रखी गई है।
- भारत की सबसे बड़ी सौर दूरबीन वैद्यशाला उदयपुर जिले में है।
- पहला मार्शल आर्ट विश्वविद्यालय उदयपुर जिले में है।
- देश का पहला डिजिटल मैप उदयपुर जिले का बनेगा।
- प्रथम ह्यूमन एनाटॉमी पार्क उदयपुर जिले में है।
- राजस्थान की पहली कमर्शियल बायो डीजल रिफाइनरी झामर कोटडा (उदयपुर) में है।
- राजस्थान का पहला तार घर 22 फरवरी 1895 में उदयपुर जिले में स्थापित किया गया।
- राजस्थान की सबसे बड़ी जल सुरंग मानसी वाकल उदयपुर जिले में है।
- राजस्थान का पहला शिल्पग्राम हवाला गांव उदयपुर जिले में है।
- राजस्थान की पहली महिला कोर बैंकिंग बैंक उदयपुर जिले में है।
- राजस्थान की पहली डेंटल कॉलेज, मत्स्य अभयारण्य, दुग्ध डेयरी महाविद्यालय, योग कॉलेज, डे केयर सेंटर (मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में) आदि उदयपुर जिले में है।
- राजस्थान का पहला डिजिटल विश्वविद्यालय (महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में) उदयपुर जिले में है।
- देश व राजस्थान की पहली हेल्दी फूड स्ट्रीम उदयपुर जिले में।
- देश एवं राजस्थान का पहला मार्शल आर्ट विश्वविद्यालय उदयपुर जिले में है।
- राज्य में पहली बार 2006 में वसुंधरा राजे के काल में स्वाधीनता दिवस समारोह जयपुर से बाहर उदयपुर जिले में मनाया गया।
- पहली एनसीसी अकैडमी डबोक (उदयपुर) में है।
- राजस्थान का सर्वाधिक वन क्षेत्र वाला जिला उदयपुर जिला है।
- राजस्थान में सर्वाधिक अनुसूचित जनजातियों की संख्या वाला जिला उदयपुर जिला है।
- राजस्थान में सर्वाधिक बायोगैस संयंत्र वाला जिला उदयपुर जिला है।
- राजस्थान में सर्वाधिक पंचायत समितियां वाला जिला उदयपुर जिला है।
- राजस्थान में सर्वाधिक नगरीय साक्षरता प्रतिशत वाला जिला उदयपुर जिला है।
- राजस्थान में सर्वाधिक अभयारण्य वाला जिला उदयपुर जिला है।
- राजस्थान में सर्वाधिक बायोगैस संयंत्र वाला जिला उदयपुर जिला।
- राजस्थान में सर्वाधिक ग्राम पंचायत वाला जिला उदयपुर जिला।
- राजीव गांधी ट्राईबल यूनिवर्सिटी जलगांव (उदयपुर) में है।
- राजस्थान साहित्य अकादमी 28 जनवरी 1958 को स्थापित है (इस अकादमी द्वारा मासिक पत्रिका मधुमति का प्रकाशन किया जाता है एवं इस अकादमी का सर्वोच्च पुरस्कार मीरा पुरस्कार है)
- राजस्थान माध्यमिक शिक्षा परिषद का मुख्यालय उदयपुर जिले में है।
- माणिक्य लाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, राजस्थान राज्य खान एवं खनिज विकास निगम/राजस्थान खनन और भूविज्ञान विभाग उदयपुर जिले में है।
- मानसी वाकल योजना को उदयपुर नगर की पेयजल की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शुरू किया गया है, जो राजस्थान व हिंदुस्तान ज़िंक लिमिटेड की साझी परियोजना।
- तीरंदाजी खेल अकादमी (यहां पर जनजाति के खिलाड़ियों को परंपरागत तीरंदाजी में प्रशिक्षण दिया जाता है।
- हरे रंग का संगमरमर उदयपुर जिले से प्राप्त होता है।
- हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड – इसकी स्थापना 10 जनवरी 1966 ईस्वी में भारत सरकार द्वारा ब्रिटेन के सहयोग से उदयपुर जिले के देबारी गांव में एवं चित्तौड़गढ़ जिले के चंदेरिया गांव में की गई थी।
- उदयपुर कॉटन मिल्स – इसकी स्थापना 1961 ईस्वी में उदयपुर में की गई थी। जिसे 2006 में बंद कर दिया गया।
- उदयपुर शुगर मिल – इसकी स्थापना 1976 ईस्वी में उदयपुर में की गई। यह एक निजी क्षेत्र की चीनी मिल है।
- जिंक स्मेल्टर कारखाना – यह खाद का कारखाना उदयपुर के देबारी गांव में स्थित है।
- जेके सीमेंट का कारखाना – इसकी स्थापना 1970 ईस्वी में उदयपुर के डबोक में की गई थी।
- हिंदुस्तान शुगर लिमिटेड – इसकी स्थापना उदयपुर में की गई।
- मेवाड़ महोत्सव – यह महोत्सव वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करने के लिए मनाया जाता है।
- भैंस प्रजनन केंद्र, वल्लभनगर (उदयपुर) में महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित है।