विश्व स्तनपान सप्ताह के उपलक्ष में पोस्टर विमोचन-गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पीटल
गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पीटल आई. ए. पी. उदयपुर ब्रांच एवं इनरव्हील क्लब उदयपुर द्वारा विश्व स्तनपान सप्ताह पर जनहित में प्रसारित
स्तनपान को पूर्ण सक्षम बनाना कार्यकारी माता के लिए बदलाव लाना (1-7अगस्त 2023 )
1. अतुल्य मातृ दुग्ध शिशु के शारीरिक एवं मानसिक विकास में सहायक है।
2. नवजात का जन्म होते ही 1/2 घंटे के भीतर हर माँ उसे स्तनपान करवाए। हर माँ दोनों स्तनों से नवजात शिशु को स्तनपान करावें।
3. शुरू में आने वाला दूध ( कोलोस्ट्रम) प्रत्येक शिशु को अवश्य देखें। यह शिशु की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है।
4. जुड़वाँ बच्चों को माँ स्तनपान साथ-साथ करवाए, इससे माँ के दूध का स्त्राव बढ़ जाता है।
5. नवजात शिशु को जन्म छुट्टी, शहद अथवा चाय या पानी वगैरह कुछ भी पेय पदार्थ नहीं देवें, इससे नवजात को संक्रमण होने का खतरा रहता है।
6. रात्रि में भी बच्चे को स्तनपान अवश्य करवाएँ, जिससे माता के दुग्ध का स्त्राव कई गुना बढ़ जाता है।
7. स्तनपान से बच्चे में श्वसन रोग व दस्त होने की संभावना कम हो जाती है एवं बच्चें में मोटापा नहीं आता । इसके अलावा मातृ-दुग्ध उच्च रक्तचाप, एलजी रांगो, डायबिटीज, अस्थमा, वायरल बुखार, मलेरिया [व] आंतों की बीमारियों तथा लिम्फोमा कैंसर से भी शिशु का बचाव करता है।
8. स्तनपान करवाने से माता को बच्चेदानी, योनि, अण्डाशय व स्तन कैंसर होने की सम्भवाना कम हो जाती है। माहवारी न होने से वह प्राकृतिक गर्भ निरोधक की तरह काम करता है, जिससे माताएं गर्भ धारण नहीं करती। इसके अलावा इन माताओं को माहवारी न आने से रक्ताल्पता नहीं होती। दूध पिलाने स्थूलकाय नहीं होती हैं।
9. स्तनपान ग्रहण करने वाले बच्चे पराक्रमी वीर तथा कुशाग्र बुद्धि के होते है तथा मातृ दुग्धपान से माता एवं शिशु में भावनात्मक संबंध सुदृढ़ होता है, जो जीवन पर्यन्त रहता है।
10. पहले 6 माह तक शिशु को मातृ दुग्ध के अलावा कोई भी भोज्य पदार्थ न देवें । इसे एक्सक्लूसिव बेस्ट फिडिंग कहते है।